एक छोटा-सा देवदूत
Motivational Story in hindi – एक बार की बात है, एक छोटा-सा देवदूत धरती पर आया। वह बहुत ही भोला और सरल था। वह धरती पर सब कुछ देखना और सीखना चाहता था। एक दिन, वह एक गाँव में गया। वहाँ उसने एक किसान को खेत में काम करते हुए देखा। किसान बहुत मेहनत कर रहा था। देवदूत ने किसान से पूछा, “आप इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं?”
किसान ने कहा, “मैं अपने परिवार के लिए भोजन और कपड़े जुटाने के लिए मेहनत कर रहा हूँ।” देवदूत ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है कि आप अपने परिवार के लिए मेहनत कर रहे हैं।
लेकिन क्या आप कभी भी अपने परिवार के साथ खेलते हैं?” किसान ने कहा, “नहीं, मैं बहुत व्यस्त हूँ। मुझे अपने परिवार के लिए भोजन और कपड़े जुटाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है इसलिए समय ही नही मिल पाता है ।” देवदूत ने कहा, “लेकिन अगर आप कभी भी अपने परिवार के साथ नहीं खेलते हैं, तो वे आपसे खुश नहीं होंगे।”
Motivational Story in hindi 2023 – प्रेरणादायक कहानी
किसान ने कहा, “आप सही हैं। मैं अपने परिवार के साथ खेलने का समय निकालूँगा।” देवदूत ने किसान को धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गया। अगले दिन, देवदूत एक स्कूल में गया। वहाँ उसने एक शिक्षक को बच्चों को पढ़ाते हुए देखा। शिक्षक बहुत मेहनत कर रहा था।
देवदूत ने शिक्षक से पूछा, “आप इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं?” शिक्षक ने कहा, “मैं बच्चों को पढ़ाने के लिए मेहनत कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अच्छे इंसान बनें और अपने जीवन में सफल हों।”
देवदूत ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है कि आप बच्चों को पढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। लेकिन क्या आप कभी भी बच्चों के साथ खेलते हैं?” शिक्षक ने कहा, “नहीं, मैं बहुत व्यस्त हूँ। मुझे बच्चों को पढ़ाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है इसलिए समय ही नही मिल पाता है ।”
देवदूत ने कहा, “लेकिन अगर आप कभी भी बच्चों के साथ नहीं खेलते हैं, तो वे आपसे खुश नहीं होंगे।” शिक्षक ने कहा, “आप सही हैं। मैं अपने बच्चों के साथ खेलने का समय निकालूँगा।” देवदूत ने शिक्षक को धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गया।
Life Changing Motivational Story | Inspirational Story | Motivational Story in hindi
देवदूत ने गाँव और स्कूल में और भी लोगों को देखा। वह हर किसी से पूछता था कि वे क्यों मेहनत कर रहे हैं। हर कोई अपने परिवार के लिए या अपने जीवन में सफल होने के लिए मेहनत कर रहा था।
देवदूत को समझ में आ गया कि लोग मेहनत इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपने परिवार से प्यार करते हैं और अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं। लेकिन देवदूत को यह भी समझ में आया कि लोगों को अपने परिवार के साथ खेलने और आनंद लेने का भी समय निकालना चाहिए।
देवदूत ने गाँव और स्कूल से बाहर निकला और आसमान में उड़ गया। वह सोच रहा था कि वह क्या कर सकता है ताकि लोग अपने परिवार के साथ खेलने और आनंद लेने का समय निकाल सकें।
Motivational Kahani Preranaadaayak Kahaanee 2023 | Motivational Story in hindi
तभी देवदूत को एक विचार आया। वह एक छोटी-सी परी का निर्माण किया और उसे गाँव और स्कूल में भेज दिया। परी ने लोगों को बताया कि वे अपने परिवार के साथ खेलने और आनंद लेने के लिए समय निकालें।
लोगों को परी की बातें अच्छी लगीं। उन्होंने अपने परिवार के साथ खेलने और आनंद लेने का समय निकालना शुरू कर दिया। देवदूत बहुत खुश था। उसने सोचा कि वह लोगों को एक अच्छी सीख दे पाया है।
इस कहानी की सीख :-
इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है की हम चाहे कितने की वस्त क्यो ना हो लेकिन हमे अपने परिवार के लिए हमेशा समय निकालना चाहिए ! धन्यवाद
एकलव्य की कहानी
Motivational Story in hindi – एकलव्य एक बहुत ही प्रतिभाशाली धनुर्धर था। वह बचपन से ही धनुष-बाण चलाने का अभ्यास करता था। उसके पिता भी एक धनुर्धर थे, और उन्होंने एकलव्य को धनुष-बाण चलाने की कला सिखाई। एकलव्य बहुत ही मेहनती था। वह दिन-रात धनुष-बाण चलाने का अभ्यास करता था।
वह बहुत ही निशाना लगाने में निपुण था। उसकी धनुर्विद्या की कोई सीमा नहीं थी। एक दिन, एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में गया। वह गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहता था। गुरु द्रोणाचार्य बहुत ही प्रसिद्ध धनुर्धर थे, और सभी लोग उनसे धनुर्विद्या सीखना चाहते थे। लेकिन गुरु द्रोणाचार्य केवल अपने ही शिष्यों को धनुर्विद्या सिखाते थे।
एकलव्य को पता था कि वह गुरु द्रोणाचार्य का शिष्य नहीं बन सकता। लेकिन वह बहुत ही इच्छुक था कि गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखे। इसलिए, उसने एक उपाय सोचा। एकलव्य ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाई, और उस मूर्ति को गुरु द्रोणाचार्य के रूप में मानकर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। वह दिन-रात उस मूर्ति के सामने धनुष-बाण चलाने का अभ्यास करता था।
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गुरु द्रोणाचार्य एक दिन अपने आश्रम में टहल रहे थे, तभी उन्होंने एकलव्य को मूर्ति के सामने धनुष-बाण चलाते हुए देखा। गुरु द्रोणाचार्य को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने एकलव्य से पूछा कि वह कौन है, और वह क्या कर रहा है।
एकलव्य ने बताया कि वह गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहता था। लेकिन चूंकि वह गुरु द्रोणाचार्य का शिष्य नहीं बन सकता था, इसलिए वह मूर्ति के सामने धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहा था। गुरु द्रोणाचार्य को एकलव्य की लगन और निष्ठा देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने एकलव्य को अपना शिष्य बना लिया।
एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखता रहा। वह बहुत ही कुशल धनुर्धर बन गया। वह अपने गुरु के सभी शिष्यों से भी बेहतर धनुर्धर था।
एक दिन, गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा। प्रतियोगिता में जीतने वाले शिष्य को एक विशेष धनुष मिलेगा।
Motivational Story in hindi Hindi Story Life
एकलव्य ने भी प्रतियोगिता में भाग लिया। वह प्रतियोगिता में सभी शिष्यों को हराकर जीत गया। उसे विशेष धनुष भी मिला। गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य की जीत से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने एकलव्य को कहा कि वह अब एक महान धनुर्धर बन गया है।
इस कहानी की सीख :-
एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य से बहुत कुछ सीखा था। उसने सीखा था कि लगन और निष्ठा से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इसलिए हमे कभी भी मेहनत करना नही छोड़ना चाहिए, तो हमेशा मेहनत कीजिए और अपने सपनो को पूरा कीजिए ! धन्यवाद
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